राजस्थान हाईकोर्ट ने हाल ही में एक फैसले में माना कि प्रतिकूल पुलिस सत्यापन रिपोर्ट किसी नागरिक को पासपोर्ट पाने के उसके कानूनी अधिकार से वंचित नहीं कर सकती।
जस्टिस अनूप कुमार ढांड की पीठ ने कहा कि पासपोर्ट या यात्रा दस्तावेज जारी करने का निर्णय पासपोर्ट प्राधिकरण को ही लेना होता है और वे बिना सोचे-समझे, केवल प्रतिकूल पुलिस रिपोर्ट के आधार पर ऐसे जारी करने से इनकार नहीं कर सकते।
न्यायालय एक रिट याचिका पर सुनवाई कर रहा था, जिसमें याचिकाकर्ता के पासपोर्ट के नवीनीकरण के लिए सरकार को निर्देश देने की मांग की गई थी। याचिकाकर्ता को 2012 में पासपोर्ट जारी किया गया था, जो 2022 तक वैध था। याचिकाकर्ता द्वारा लगाए गए आरोप के अनुसार, सरकार ने बिना कोई उचित कारण बताए नवीनीकरण के लिए आवेदन को खारिज कर दिया।
सरकार ने प्रस्तुत किया कि पासपोर्ट कार्यालय ने पुलिस से सत्यापन रिपोर्ट मांगी थी और एक प्रतिकूल रिपोर्ट इस टिप्पणी के साथ प्रस्तुत की गई थी कि याचिकाकर्ता की राष्ट्रीयता के बारे में संदेह था और उसके “नेपाली” होने का संदेह था। चूंकि पुलिस सत्यापन के दौरान याचिकाकर्ता की पहचान विवादित थी, इसलिए पासपोर्ट का नवीनीकरण नहीं किया गया।
इस विश्लेषण के आधार पर न्यायालय ने माना कि सरकार द्वारा उठाई गई आपत्ति जायज नहीं है और पासपोर्ट का नवीनीकरण न करने का उनका कृत्य अनुचित है।