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Leopard terror in Udaipur: 24 घंटे में दो लोगों की जान ली, पांच महीने में आठ मौतें, दहशत में क्षेत्र

Leopard terror in Udaipur: 24 घंटे में दो लोगों की जान ली, पांच महीने में आठ मौतें, दहशत में क्षेत्र

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Leopard terror in Udaipur: राजस्थान के उदयपुर जिले में तेंदुए का आतंक लगातार बढ़ता जा रहा है। तेंदुए के हमलों से अब तक कई लोगों की जान जा चुकी है, जिससे स्थानीय लोग भय और दहशत में जी रहे हैं। पिछले 24 घंटों में ही दो लोगों की जान तेंदुए के हमले में चली गई, वहीं पिछले पांच महीनों में तेंदुए ने आठ लोगों को अपना शिकार बना लिया है। तेंदुए के बढ़ते हमलों के कारण पूरे क्षेत्र में दहशत का माहौल बना हुआ है, और लोग अपने जीवन के प्रति चिंतित हैं।

Leopard terror in Udaipur: 24 घंटे में दो लोगों की जान ली, पांच महीने में आठ मौतें, दहशत में क्षेत्र

तेंदुए के हमले: 24 घंटे में दो मौतें

उदयपुर के गोगुंदा इलाके में बुधवार शाम को तेंदुए ने एक नाबालिग बच्ची को अपना शिकार बना लिया। इस घटना से क्षेत्र में हड़कंप मच गया। लोगों ने तेंदुए के हमले को रोकने और सुरक्षा की मांग की, लेकिन इसके बाद भी तेंदुए का आतंक कम नहीं हुआ। अगले ही दिन, यानी गुरुवार शाम को गोगुंदा क्षेत्र में तेंदुए ने एक और शख्स पर हमला कर उसे मौत के घाट उतार दिया। इस बार तेंदुए का शिकार हुआ युवक खुमाराम, जो कि भेवड़िया गांव का रहने वाला था। खुमाराम जंगल से अपने घर लौट रहा था, तभी तेंदुए ने उस पर हमला किया और उसकी जान ले ली।

पांच महीने में आठ लोगों की मौत

उदयपुर जिले में पिछले पांच महीनों के भीतर तेंदुए के हमलों में आठ लोगों की जान जा चुकी है। यह घटनाएं केवल उदयपुर जिले तक सीमित नहीं हैं, बल्कि पूरे राजस्थान में तेंदुए के हमले की घटनाएं बढ़ती जा रही हैं। दो हफ्ते पहले भी एक तेंदुए ने एक महिला को मार डाला था। तेंदुए की बढ़ती जनसंख्या और उनके प्राकृतिक आवासों के कम होने की वजह से ये हमले और भी बढ़ते जा रहे हैं।

वन विभाग द्वारा की गई वॉटर होल जनगणना के अनुसार, इस साल राजस्थान में तेंदुओं की संख्या 925 तक पहुंच गई है, जबकि 2022 में यह संख्या 818 थी। तेंदुए की इस बढ़ती संख्या के कारण ही इंसानों पर हमले बढ़े हैं, और यह चिंता का विषय बन गया है।

वन विभाग की कोशिशें

तेंदुए के बढ़ते हमलों को रोकने के लिए वन विभाग ने राष्ट्रीय वन्यजीव बोर्ड (एनडब्ल्यूबी) को पत्र लिखा है और उनसे सहायता मांगी है। इसके अलावा, वन विभाग ने राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) से भी संपर्क किया है, जो राजस्थान में तेंदुओं की सुरक्षा की जिम्मेदारी उठाता है। वन विभाग की टीमें तेंदुए को पकड़ने की लगातार कोशिश कर रही हैं, लेकिन अब तक उन्हें सफलता नहीं मिली है। तेंदुए के हमले के बाद से ही क्षेत्र में लोगों के बीच डर और असुरक्षा की भावना बढ़ गई है।

वन विभाग के अधिकारी लगातार क्षेत्र में गश्त कर रहे हैं और तेंदुए की तलाश में जुटे हैं। लेकिन तेंदुए को पकड़ना आसान नहीं है, क्योंकि यह वन्यजीव अत्यंत चालाक और तेज गति से चलता है। इसके अलावा, तेंदुए के प्राकृतिक आवास में इंसानों की बढ़ती घुसपैठ भी इसे और आक्रामक बना रही है।

तेंदुए के हमलों के पीछे के कारण

तेंदुए के हमलों के पीछे कई कारण हो सकते हैं। सबसे बड़ा कारण यह है कि तेंदुए के प्राकृतिक आवास लगातार घट रहे हैं। वन क्षेत्र कम होने और जंगलों में इंसानी गतिविधियों के बढ़ने से तेंदुए अपने भोजन और आवास की तलाश में गांवों और शहरों की ओर बढ़ रहे हैं। इसके अलावा, तेंदुए की बढ़ती जनसंख्या भी इन हमलों का प्रमुख कारण है।

उदयपुर और राजस्थान के अन्य क्षेत्रों में तेंदुए की संख्या बढ़ने से वे अपने इलाके में भोजन की कमी का सामना कर रहे हैं। यही कारण है कि वे इंसानों पर हमला कर रहे हैं। वन विभाग की जनगणना के अनुसार, तेंदुए की संख्या में पिछले कुछ वर्षों में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है, जिससे उनके हमलों की घटनाएं बढ़ रही हैं।

स्थानीय लोगों में डर और वन विभाग से मांग

तेंदुए के हमलों से क्षेत्र में डर और दहशत का माहौल है। स्थानीय लोग अपने घरों से बाहर निकलने में भी डरते हैं, खासकर शाम और रात के समय। गांवों के लोग वन विभाग से सुरक्षा की मांग कर रहे हैं और तेंदुए को पकड़ने के लिए जल्द से जल्द ठोस कदम उठाने की अपील कर रहे हैं।

क्षेत्र के ग्रामीणों का कहना है कि तेंदुए के हमले अब आम बात हो गई है और उन्हें अपने बच्चों और परिवार के सदस्यों की सुरक्षा को लेकर चिंता सता रही है। कुछ ग्रामीणों ने तो अपने मवेशियों को भी तेंदुए के हमले से खो दिया है, जिससे उनके रोजी-रोटी का साधन भी खतरे में पड़ गया है।

वन्यजीव संरक्षण और सुरक्षा के उपाय

तेंदुए के हमलों को रोकने के लिए वन विभाग ने कई उपायों की योजना बनाई है। उनमें से एक प्रमुख उपाय तेंदुए के प्राकृतिक आवासों की रक्षा करना है। इसके अलावा, वन विभाग तेंदुए की बढ़ती जनसंख्या को नियंत्रित करने के लिए भी कदम उठा रहा है। वन्यजीव संरक्षण के विशेषज्ञों का कहना है कि तेंदुए के हमलों को रोकने के लिए इंसानों को भी वन्यजीवों के साथ सह-अस्तित्व में रहना सीखना होगा।

इसके लिए वन्यजीवों के प्राकृतिक आवासों को सुरक्षित रखना आवश्यक है, ताकि तेंदुए और अन्य वन्यजीव अपने क्षेत्र में रह सकें और इंसानों के संपर्क में कम आएं। वन विभाग ने तेंदुए की गतिविधियों पर नजर रखने के लिए कैमरा ट्रैप और अन्य तकनीकी उपायों का भी सहारा लिया है।

SatishRana
Author: SatishRana

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